गंगा आरती

नमामि गंगे ! तव पादपंकजं सुरसुरैर्वन्दित दिव्यरूपम् ।
भुक्तिं च मुक्तिं च ददासि नित्यम् भावानुसारेण सदा नराणाम्।

पूजा के बारे में

नमामि गंगे ! तव पादपंकजं सुरसुरैर्वन्दित दिव्यरूपम् ।
भुक्तिं च मुक्तिं च ददासि नित्यम् भावानुसारेण सदा नराणाम्।

अर्थात- है माँ गङ्गे आप देवताओं तथा सुर असुरो से वन्दिनीय पूजनीय हो,आप के श्री चरणों मे हम सभी का प्रणाम , आप मनुष्य के साथ सभी प्राणी को उनके भाव व कर्म के अनुसार भक्ति व मुक्ति प्रदान करती हो। गंगा नदी हमारे देश की पवित्रतम नदियों में से एक है। माँ गंगा का महत्व हमारे जीवन मे और धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यो में महत्वपूर्ण है।

शास्त्रों में माँ गंगा को पवित्र नदियों में सर्वश्रेष्ठ व पूजनीय माना जाता है

"गंगा तव दर्शनात् मुक्ति" अर्थात-माँ गंगा के दर्शन मात्र से ही मुक्ति प्राप्त होती है। पुराणों में वर्णित है कि आदि काल में गंगा के अवतरण दिवस पर भगवान विष्णु ने यही कहकर प्राणी मात्र को आशीर्वाद प्रदान किया था।

माँ गंगा का पूजन,आरती, स्नान,दान,पुण्य करने मात्र से मनुष्य प्राणी के सारे पापों का विनाश होता है शास्त्रों में वर्णन है- राजा भगीरथ ने घोर तप से अपने पुर्वजों ( राजा सगर 'सूर्य वंशी' के 60 हजार पुत्रों ) के उद्धार के लिए माँ गंगा को पृथ्वी लोक पर लाया, जिस से उन्होंने अपने पुर्वजों के द्वारा किये गये पापों से मुक्ति प्रदान की थी,

हरिद्वार और गंगा की महिमा- हरि-नाम भगवान विष्णु का दूसरा नाम है, द्वार- गंगाद्वार यही से गंगा पहाड़ो से विदा लेकर मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है साथ ही हरिद्वार को 4 धाम यात्रा का द्वार भी बताया गया है हरिद्वार में गंगा आरती पूजन आदि कर्म सम्पूर्ण विश्व मे विख्यात है यहां पर लोग देश विदेशों से आकर अपने पुर्वजों का स्मरण और पूजन अर्चन बड़ी श्रद्धा से करवाते है, आप और हम सभी लोग माँ गंगा का आभार प्रकट करते है जो हम सब की मोक्षदायनी है।

"हर हर गंगे"
"जय माँ गंगे"

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