गृह प्रवेश वास्तु पूजा
आपो हिष्ठा मयोभुवस्था न ऊर्जे दधातन।
महे रणायचक्षसे॥
पूजा के बारे में
ॐ वास्तोष्पते प्रति जानीहि अस्मान्त्स्वावेशो अनमीवो
भवान्ः ।
यत्त्वे महे प्रतितन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे ।।
अर्थात- हे वास्तुदेवता, हम आपकी नमस्कार प्रणाम करते है। और आपका आवाहन पूजन प्रतिष्ठा करते है, हमारी पूजा स्तुति एवं प्रार्थना पूजन को सुनकर हम सभी जनों को आदि व्याधि से मुक्ति दीजिए। इस स्थान के वास्तु का दोष नष्ट करके इसमें निवास करने वाले हमारे परिवार जनों को तथा हमारे सभी शुभेचु बन्धु बांधवों को रहने के लिए आशीर्वाद दीजिए।
नवीन घर मे प्रवेश करना हम सभी के लिए खुशी का आयोजन है
जीवन में हर किसी को रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत होती है. इन तीन मूलभूत आवश्यकताओं में हर कोई चाहता है कि उसके पास सिर ढकने के लिए एक छत यानि अपना एक मकान जरूर होना चाहिए. जब कभी भी यह सपना सच हो जाता है तो व्यक्ति उसमें प्रवेश करने के लिए घर-परिवार के साथ विधि-विधान से पूजा-पाठ करता है सपनों के आशियाना में प्रवेश करने के वास्तु पूजन व गृह प्रवेश आदि पूजा हवन भी आवश्यक होता है
गृह प्रवेश की पूजा में वास्तु शांति का हवन भी कराया जाता है. हवन करने से ग्रहों के हानिकारक और नकारात्मक प्रभाव दूर रहते हैं जिससे घर में सुख और शांति बनी रहती है. ऐसे में सभी लोग नए घर में जाने से पहले घर की पूजा करते हैं. इस दौरान भगवान गणेश, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान
गृह प्रवेश के लिए एक शुभ तारीख का चुनाव जरुरी है क्योंकि यह सदस्यों के लिए समृद्धि, खुशी और अच्छा स्वास्थ्य लाता है। तारीख की दिव्यता पूरे पूजा समारोह को और अधिक पवित्र बनाती है, और वास्तु देवता सौभाग्य लाने के लिए घर दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि एक घर पांच तत्वों से बना होता है: सूर्य, पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु। जब ये पांचों तत्व अनुकूल है तो घर अच्छा स्वास्थ्य, समृद्धि और, सबसे महत्वपूर्ण, खुशी लाता है। अन्य वास्तु के अनुसार पांच तत्वों का मेल शुभता आपके नए घर में सकरात्मकता के साथ साथ उन्नति प्रगति करने में प्रबल सयोंग बनाता है।
आपको बता दे कि गृह प्रवेश पूजा से पहले हमेशा वास्तु पूजा की जाती है। वास्तु पूजा का उद्देश्य होता किसी भी वास्तु दोष और भूमि में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को दूर करना है। इन दोषों को वास्तु दोष के रूप में जाना जाता है। अगर ये दोष दूर नहीं होते है तो ये वहां पर रहने वाले लोगों पर नकारात्मक शक्ति अपना प्रभाव डाल सकती हैं। नये घर में शुभारंभ के साथ घर में सुख– समृद्धि को बनाये रखने के लिये गृह- प्रवेश की पूजा की जाती है। यह पूजा इसलिए करते है ताकि नये घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। गृह- प्रवेश की पूजा में लोग अपने इष्ट देवी-देवताओ की पूजा करते हैं।
वास्तु शांति पूजन के लाभ:
- वास्तु पूजा के प्रभाव से घर में लक्ष्मी और सुख शांति का आश्रीवाद बनता है।
- घर में रहने वाले परिवार को सुख की प्राप्ति होती है।
- घर में धन धान्य की व्रद्धि होती है।
- वास्तु पूजन से घर मे सदैव प्रसन्नता एवं वातावरण में अनुकूलता प्राप्त होती है।
- घर में निवास करने वाले सदस्यों को उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- वास्तु पूजन गृह प्रवेश होम से घर के सभी प्रकार के अनिष्ट दूर होते है।
- घर के पूजन में देवी-देवताओं के पूजन होने से भूत-प्रेतादि
- नकारात्मक ऊर्जा बाधाएं दूर होती है।
पूजा कर्म विधान:
- गृह प्रवेश,वास्तु पूजा वाले दिन पति और पत्नी ने उपवास रखना अनिवार्य है।
- फूलों की मालाएँ से घर को सजाना चाहिए मुख्य दरवाजे पर तोरण स्वस्तिक का चिन्ह बनाना शुभ होता है।
- गृह प्रवेश,वास्तु शांति पूजा के लिए मंत्रोच्चारण से शरीर शुद्धि, स्नान शुद्धि एवं आसन शुद्धि की जाती है।
- आचनम
- मंगलतिलक
- रक्षासूत्र
- दिप पूजन
- गणेश पूजन
- गृह प्रवेश (शुभलग्न अनुसार)
- संकल्प (पञ्चाङ्ग पूजा)
- वरुणादि,षोडशमातृका, क्षेत्रपाल,नवग्रह,वास्तुपीठ,
- सर्वतोभद्र,प्रधान पीठ,पूजन
- अग्नि,जल पूजन
- हवन,आरती,
- प्रसाद वितरण।
पूजा स्थान: एन सी आर, हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, रामनगर, उत्तरप्रदेश,नोयडा, हरियाणा,गुड़गांव, चंडीगढ़, उत्तरभारत।
पूजा अवधि: 3 से 4 घण्टे
पूजन सामग्री+दक्षिणा: 5100 + 1200 मात्र (अतिरिक्त कोई मांग ,शुल्क नही)
वास्तु पूजन:
1 दिवस + 3 ब्राह्मण
3 दिवस + 3 ब्राह्मण
5 दिवस + 3 ब्राह्मण