महामृत्युंजय जप
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम, जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः।
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
पूजा के बारे में
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम,
जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः।
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
अर्थात- हे मृत्यु को जीतने वाले महादेव मैं आपकी शरण में आया हूं, मेरी रक्षा करें। मुझे मृत्यु, वृद्धावस्था, बीमारियों जैसे दुख देने वाले कर्मों के बंधन से मुक्त करें। महादेव के इस मंत्र का जाप अकाल मृत्यु से बचने के लिए किया जाता है। मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति को बचाने व घोर संकट, विजय प्राप्ति लिए और शिवपुराण के अनुसार, इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा,कुप्रभाव आदि कई दोषों का समन (नाश) के लिए होता है।
मृत्युंजय मंत्र में 33 अक्षर हैं जो 33 देवताओं के घोतक हैं. इन तैंतीस देवताओं में 8 वसु, 11 रुद्र और 12 आदित्य,1 प्रजापति और 1 षटकार हैं. इन तैंतीस देवताओं की सारी शक्तियां महामृत्युंजय मंत्र में निहीत होती है
इस जप को करने व करवाने से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती हैं। इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है। ऋषि शुक्राचार्य इस प्रकार के मंत्र के सहयोग से असुरों को पुनर्जीवित कर देते थे इसीलिए इसे मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में भी जाना जाता है।
महामृत्युंजय जाप पूजा लाभ:
- सन्तान की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए,
- महारोग
- धन-हानि
- गृह क्लेश
- ग्रहबाधा
- ग्रहपीड़ा
- सजा का भय
- भूमि विवाद
- समस्त रोगों से मुक्ति
- भय से मुक्ति
- राज सम्मान,प्रतिष्ठा,आदि जैसे स्थितियों के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है।
पूजा स्थान: --
पूजा अवधि: --
पूजन सामग्री+दक्षिणा: -- (अतिरिक्त कोई मांग ,शुल्क नही)