नारायण बली पूजा

ॐ अनादि निधनो देवः शंखचक्रगदाधरः ।
अक्षय्यः पुण्डरीकाक्षः प्रेतमोक्षप्रदोभव ।।

पूजा के बारे में

नारायण बलि पूजा कर्म विशेष अपने पूर्वजों की आत्माओं को सद्गति मोक्ष प्रदान करने के लिए की जाती है, और ये पूजा मृतक आत्मा की अपूर्ण इच्छाओं और अपूर्ण कामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है जिसे भी अपने ज्ञात और अज्ञात पूर्वज पित्रो की सद्गति व प्रेत योनि से मुक्ति दिलाना इस निमित्त पुराणों में नारायण बलि पूजा & पित्र दोष पूजा विद्यान बताया है

हरिद्धारे पश्चिमी दिग्भागे
शिला परम् पावनी,
नाम्ना नारायणी ख्याता
सर्व पाप प्रणाशनी।

देवभूमि हरिद्वार के पश्चिम दिशा में 1 शिला है जो परम् पावनी है जिस शिला का नाम नारायण शिला है उस शीला के दर्शन और पूजन मात्र से ही प्राणी के पाप: नष्ट हो जाते है।

यत्रस्त कुरुते श्राद्धम श्रद्धा भक्ति समन्विता:,
तारिता पित्र रस्तेन सत्यम न संशय ।
शतं मातृ वनश्यापी पित्र वनश्यापी
शतं तथा स्वयं।

जो प्राणी हरिद्वार नारयण शिला में श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों का श्राद्ध करता है वह अपने १०० मातृ कुल तथा १००पिता के कुलों का उद्धार करता है और स्वयं पित्र दोष से मुक्ति प्रदान करता है।

नारायण बलि पूजा के लिए शुभ लग्न - कृष्ण पक्ष और पित्र पक्ष सर्वाधिक श्रेष्ठ बताया गया है, तीर्थ और धाम स्थानों पे जब भी मन मे उत्कंठा उत्तपन हो तब पूजन आदि को सम्पन कर सकते है

कब नही करना चाहिए - चन्द्र ग्रहण,सूर्य ग्रहण,में इस पूजन को नही करवाना चाहिये,

इस पूजन को योग्य ब्रहामणों द्वारा सम्पन करवाने का विधान है यह पूजा नारायण बलि आदि (पितृ कर्म) गंगा द्वार(हरिद्वार) अथवा गंगातट आदि तीर्थो में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है.

नारायण बली पूजा किस किस के निमित्त करवानी चाहिये- अकाल मृत्यु ,दुर्मरण,शस्त्रघात से मृत्यु,अस्त्रघात से मृत्यु, दुर्घटना से मृत्यु , बीमारी के कारण मृत्यु,किसी अपराध से मृत्यु, युद्ध मे मृत्यु ,अल्प आयु में मृत्यु, आत्महत्या से मृत्यु,फाँसी व जहर से मृत्यु, अंत्येष्टि कर्म में विधि का लोप दसवाँ एकादश द्वादश तेरहवीं वर्षी शास्त्रोक्त विधि से पूर्ण ना होना आदि।

नारायणी पूजा में लाने योग्य वस्तु-

  • घर से 1/2 किलो अक्षत (सभी जनों के हाथ से स्पर्श )।
  • पूजा में पहनने योग्य सफेद वस्त्र कुर्ता,धोती/ कुर्ता,पजामा/ बनियान,सफेद लुंगी। (1 सफेद गमछा अनिवार्य)।
  • पूजा में प्रयोग किये वस्त्रों का पूजन के उपरांत (पिंड का गंगा में विसर्जन) इन वस्त्रों का त्याग।
  • तुलसी पत्र
  • क्षौर कर्म या (सेविंग+बाल) बना कर के लाये।

नारायण बली पूजा के लाभ

  • बीमार परिजनों के स्वास्थ्य में लाभ ।
  • पितृदोष और पितृशाप से मुक्ति ।
  • कुटुम्ब बाधा दूर होना और परिवार में शांति
  • संतान प्राप्ति
  • कार्य क्षेत्र में आर्थिक धनलाभ उन्नति
  • नौकरी में बढ़ोतरी प्राप्ति होना।
  • विवाह समस्या का निदान।

पूजा विधि क्रम

  • पवित्रीकरण,मङ्गल तिलक
  • रक्षासूत्र विधान
  • दीपक पूजन,दिशा रक्षण
  • गणेश पूजन संकल्प(पञ्चाङ्ग पूजन)
  • पाँच कलशों का आवाहन,प्रतिष्ठा,पूजन
  • तर्पण & प्रेतशिला दर्शन
  • नारायण बलि होम
  • पिंडदान + पिंडपूजन
  • नारायण शिला दर्शन अभिषेक ,पिंड स्पर्श
  • गंगा जी मे पिंडविसर्जन & गंगा स्नान

पूजन स्थान: हरिद्वार नारायणशिला&प्रेतशिला

पूजा समय अवधि: 3 से 4 घण्टे

ब्राह्मणो की दक्षिणा+पूजन सामग्री: 11000.मात्र