नारायण नाग बलि त्रिपिंडी पूजन

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत: ।।

पूजा के बारे में

नारायण नाग बली अतृप्त असन्तुष्ट पूवर्ज जीवात्माओं से अदृश्य रूप से होने वाली पीड़ा दोष जैसे- प्रेत शाप पिशाच पीड़ा सर्पशाप पित्र दोष, नागबलि का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना कुल या परिवार में किसी सदस्य का दुर्मरण (अकाल मृत्य)होने से उस जीवात्मा प्राणी की कुछ इच्छा कामना वासना अधूरी रह जाने से उस परिवार कुल में वह सदस्यों को दोष प्रदान करता है । यह जीवात्मा अपने कुटुंब और परिजनों को आर्थिक मानसिक शारीरिक कष्ट प्रदान करता है,

नारायण नाग बलि पूजा का आयोजन प्रेतयोनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने के लिए की जाती है। आकस्मिक मृत्यु के बाद और अंतिम संस्कार के पहले हमारे पूर्वज प्रेतयोनि में अटक जाते है। प्रेतयोनि में ऐसे पूर्वजों की आत्मा अनेक कष्ट को भोगती है, अनेक यातनाओं को झेलते है तब यही आत्माएं क्रोधीत हो जाती है और अपनी आगे की पीढ़ी (आगे की जनरेशन)पुत्र पुत्री स्त्री भाई बन्धु कुटुंब को याद करना प्रारम्भ कर देती है जिस को हम शाब्दिक भाषा मे पित्र दोष कहते है।

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत: ।।

अर्थात-भगवत गीता में भगवान कृष्ण आत्मा के विषय मे अर्जुन से कहते हैं - है अर्जुन आत्मा को हथियारों से काटा नहीं जा सकता, इसे आग से जलाया नहीं जा सकता, इसे पानी से भिगोया नहीं जा सकता और इसे हवाओं से सुखाया नहीं जा सकता,आत्मा अजर और अमर है।

किस के निमित्त करनी चाहिए- दुर्घटना,बम्बलास्ट,जहर खाने से, लापता, असमय, असामान्य, आत्महत्या,जानवरो द्वारा, सर्प द्वारा, ओर मृत शरीर क्षत विक्षत सभी अंगों का एक साथ दाह संस्कार ना होना पूर्वजों द्वारा या स्वयं द्वारा अजन्मे भूर्ण बच्चे की हत्या, अंतिम संस्कार में देरी या कोई त्रुटि अंतीम यात्रा में पिंड दान का लोप अपरिचितों द्वारा अंतिम संस्कार

नारायण बली पूजा कौन कौन कर सकता है -

  • वैवाहिक जीवन मे अड़चन
  • विवाह में देरी
  • तलाक की सम्भावना
  • गर्भपात गर्भधारण में समस्याएं
  • जीवन साथी का अधिकांश बीमार रहना
  • मानसिक विकार रोग
  • केवल कन्या सन्तति की प्राप्ति
  • सन्तान में पुत्र का अभाव.

त्रिपिंडी पूजन -

  • गंगास्नान
  • गणेश पूजन
  • षोडशोपचार पूजन
  • तीन कलशों का पूजन
  • पिंड दान
  • सपिंडीकरण
  • होम(हवन)
  • नारायण शिला & प्रेत शिला दर्शन पूजन

नाग पूजन -

  • आटे के नाग निर्माण,
  • आवाहन,प्रतिष्ठा,पूजन,
  • नाग बली होम
  • नारायण शीला दर्शन
  • गंगा जी मे पिंडविसर्जन
  • गंगा स्नान

शास्त्रों में पित्र दोष नारायणबलि-नागबलि कर्म करने का विधान है. यह कर्म प्रत्येक वह व्यक्ति कर सकता है, जो अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है. जिन जातकों के माता-पिता जीवित हैं वे भी यह पूजा विधान कर सकते हैं.

पूजाकर्म विधी पवित्री करण मंगलतिलक रक्षासूत्र विद्यान गणेश पूजन (पञ्चाङ्ग पूजन) नारायण बलि पूजन कर्म ।

पूजन स्थान: नारायण शिला & प्रेत शिला हरिद्वार

पूजन दिन: तीन दिन, दो दिन, एक दिन

पूजन अवधि: 3 से 4 घण्टे